जान्तव नृशंसता : मानवता की हत्या

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केरल के मन्नारक्कड़ में एक गर्भवती जंगली मादा एशियाई हाथी  की दुखद मृत्यु ने एक बार फिर मानव समाज के अमानवीय पक्ष को प्रदर्शित किया और राष्ट्रव्यापी आक्रोश फूट पड़ा। इस समय में जब हम COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में मुश्किल से पकड़ बनाए हुए हैं, इस तरह की शर्मनाक खबर लोगों के बीच दुख और बड़ी बेचैनी का कारण बनी। सीएम ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का वादा किया। मन्नारक्कड़ वन मंडल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। 

आईपीसी धारा ४२८(428) आईपीसी धारा ४२९(429) के तहत मामला दर्ज किया गया। हाथी ने विस्फोटक से भरे अनानास का सेवन कर लिया था जो उसके मुंह में ही फट गया था।  घायल मादा हाथी २७ तारीख को अपने अंतिम क्षणों में वेलियार नदी में खड़ी रही, जहां से मरणोपरांत मादा हाथी का शव २ अन्य हाथियों की सहायता से निकला गया। डी एफ ओ सुुनील कुमार के अनुसार मादा हाथी साइलेंट वैली नेशनल पार्क के बफर जोन से आयी होगी। मंत्रालय ने ट्वीट कर मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किये जाने की सूचना दी। ताजा रिपोर्टों के अनुसार, पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि गर्भवती हाथी ने गलती से विस्फोटक से भरे फल का सेवन कर लिया होगा । माना जा रहा है कि अनानास जंगली शुकर के लिए रखा गया था ताकि उन्हें कृषि क्षेत्र से दूर रखा जा सके। प्रदेश मंत्रालय और एमओईएफ एंड सीसी ने लोगों से आग्रह किया कि वे किसी भी अफवाह का शिकार न हों ।

 


इस घटना के अलावा पशु क्रूरता के कई और मामले प्रकाश में आए। 
  • हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के झोंदत्ता गांव की गाय को भी  पटाखा मिश्रित आटा खिलाये जाने की खबर सामने आई। पटाखे लाचार प्राणी के मुंह में फट गए, जिससे गौमाता का जबड़ा क्षतिग्रस्त हो गया।

  • हाल ही में वायरल वीडियो में नजर आए 2 किशोर लड़कों की पहचान उज्जैन में हुई, जिन पर आरोप है एक गंदे तालाब में बंधे कुत्ते को बेरहमी से डुबाने और उसका वीडियो बनाने का।

  • असम के गुवाहाटी के गोर्चुक में रविवार को तेंदुए के अमानवीय अपहनन  की एक और घटना सामने आई। जानवर के मारे जाने के बाद दांत और नाखून हटा दिए गए और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें लोगों को जानवर  के मृत शरीर का जुलूस निकालते हुए देखा जा सकता है ।

  • सूरत में सोमवार 8 जून को एक शख्स पर आवारा कुत्ते की हत्या के शक में मुकदमा दर्ज किया गया, पुलिस के मुताबिक उस शख्स का कहना है कि कुत्ता रेबिस-ग्रस्त था। जबकि अन्य स्थानीय निवासियों की माने तो कुत्ते को कोई बीमारी नहीं थी।

  • केरल से एक अन्य मामले में, एक कुत्ते को उसके मुंह के चारों ओर टेप लपेट कर छोड़ दिया गया था। पी ऐ डब्लू एस बचावकर्ताओं के अनुसार टेप की कई परतें लापेटी गयी थीं, जिसके परिणामस्वरूप कुत्ते को 
  • ऐसा ही एक और मामला तमिलनाडु के त्रिची में प्रकाश में आया, जहां लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर सियार को स्वयं-निर्मित विस्फोटक खिलाकर सियार की हत्या कर दी। एक कांस्टेबल ने उन्हें एक चाय के स्टॉल पर एक बैग में शव के साथ चाय पीते देखा ।

  • हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक बाइक पर सवार 2 लोगों को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कम से एक किमी तक एक कुत्ते को जंजीर से बांधकर घसीटते हुए दिखाया गया है । पुलिस ने इस मामले में दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
पशु क्रूरता हमारे राष्ट्र के लिए नई नहीं है । बॉम्बे सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ एनिमल्स (बीएसपीसीए) के मुताबिक, अकेले मुंबई में 2011 से 2016 तक पाँच साल में 19000+ मामले दर्ज किए गए। विडंबना यह है कि इतनी बड़ी संख्या में मामले दर्ज होने के पश्चत कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।  इस डेटा में उन मामलों को भी शामिल नहीं किया गया है जिनमें जंगली जानवर शामिल थे; पीड़ित या तो पालतू जानवर थे या आवारा थे। जंगली जानवरों के साथ किए गए जघन्य कृत्यों का ज्यादातर आत्मरक्षा के तर्क से कोर्ट रूम के अंदर बचाव किया जाता है। यह सच है कि जब जंगली जानवर मानव बस्ती के बहुत करीब होते हैं तो बहुत से निर्दोष लोग भी घायल हो जाते हैं या मारे जाते हैं ।

 

सार्वजनिक मंच पर अपनी राय रखने से पहले सभी तथ्यों की जांच करना अत्यंत महत्वपूर्ण है । इंटरनेट की पहुंच दिन प्रति दिन बढ़ने के साथ अधिक से अधिक लोग सोशल मीडिया पर जुड़ रहे हैं। लेकिन इंटरनेट पर बताए गए सभी तथ्य सच नहीं हैं, जो अक्सर ही हम लोग इंटरनेट का उपयोग करते समय भूल जाते हैं। इसलिए, उपयोगकर्ताओं को तथ्यों का प्रतिकार करना चाहिए और सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने या आंख बंद करके किसी भी पोस्ट पर विश्वास करने से पहले अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए। किसी भी प्रकार की घृणा, किसी भी रूप में हमारे समाज में या हमारी मानसिकता में अस्तित्व में नहीं रहने दी जा सकती। कुछ लोगों के कर्मों के आधार पर एक पूर्ण समुदाय की टकसाली करना, न केवल भेदभावपूर्ण है, लेकिन यह एक समाज के रूप में हमारी सामूहिक नैतिकता में खामियों को प्रतिबिंबित करता है। यह समय की मांग है नैतिक मूल्यों का आवाहन बेहतर रूप से हो, ताकि हमारी नई पीढ़ी  प्रत्येक जीव के जीवन के मूल्य की सराहना करे और हर जीव की समान रूप से रक्षा भी करे। अधिक गंभीर दंड के साथ सख्त नियम और विनियमों की भी आवश्यकता है, ताकि इन नियमों का पालन भी हो।

हम स्वयं भी कुछ बहुत ही सरल गतिविधियों से समाज में थोड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, जैसे कि, हमारे परिवेश के बारे में पता रख कर, युवाओं को उचित और सच्ची नैतिकता प्रदान कर के, जब भी हम ऐसी घटनाओं के समक्ष आएं तो इनके विरुद्ध संज्ञान लें न कि अनदेखा करके सब कुछ सरकारों और संस्थाओं पर छोड़ दें  और पशु क्रूरता के नियमों और विनियमों के बारे में स्वयं के साथ-साथ दूसरों को शिक्षित करें।

अंत में, नॉलेज विला टीम लोगों से आग्रह करती है कि वे इन घटनाओं के खिलाफ कदम उठाएं और सरकारों और समाज की धाराओं को दोष देने के बजाय,  क्रूरता को रोकने और जानवरों और मानव जाति के बीच संबंध को संजोने के लिए कार्यवाही हेतु अग्रसर हों।

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9 Comments

  1. भाई कोई ये मीडिया में आगया ऐसे daily हज़ारो केस होते है जो लाइमलाइट में नही आ पाते थोड़े दिन इनपर बहस चलेगी फिर सब शांत हो जायेगे ...!

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  2. Great massage brother. Keep it up

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  3. Great job! Looking forward to more awesome articles!😇👍🏼

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  4. People must behave in a more sensible manner. After all these animals are also a part of our life.

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  5. How sad😢 When any animal hurts or kill any person in self-protection, we want it to be killed but what to do with those people who hurt or kill animals just for fun?

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